राहें

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किताब के बारे में :

‘राहें’ एक जीवन आधारित साहित्यिक काव्य रचना है, जिसमें जीवन के विभिन्न रूपों को चित्रित करते हुए राह के रूप में दर्शाते हुए सच्चाई का मार्ग बताने का प्रयास किया गया है । राह मात्र पत्थर, मिट्टी, रेत आदि से बना निर्जीव वस्तु या स्थान नही है, अपितु यह राही के भविष्य को निर्धारित करता है। बिना किसी भेदभाव के सुरक्षित मंजिल तक पहुचाने का एक साधन बनता है। हमारा जीवन भी एक राह की तरह है, जिसमें हम राही बनकर अपना जीवनयापन करते है। जीवन में अनेक प्रकार के मार्ग जैसे वास्तविक, कठिन, आकर्षक, मिथ्या, घृणित, धार्मिक आदि मिलते रहते है। सही जीवन का चुनाव करना हम सबका उत्तरदायित्व होता है जो हमे सही मंजिल तक पहुंचा सके। इस रचना में जहाँ बच्चों से माता-पिता के उम्मीदों के प्रति उदारता दिखाया गया है वहीं पारिवारिक जीवन श्रेष्ठ बनाने का सुझाव भी बताया गया है। धर्म, जाति, व्यवसाय आदि के आधार पर लोगों में होने वाले भेद को समाज के अवगुण के रूप में बताते हुए सुधार करने की आवश्यकता को बल दिया गया है। प्रकृति और दूसरों के प्रति मनुष्यों का व्यवहार एवं होने वाले नुकसान से भी अवगत कराने का प्रयास किया गया है। अपने शरीर, परिवार, समाज, देश आदि के प्रति जिम्मेदारियों का एहसास कराते हुए जीवन के अनेक रूपों को राह के माध्यम से पाठकों को समझाने का प्रयास किया गया है ।

जीवन आधारित इस मूल रचना को बहुत ही सरल भाषा में पद्यांश के रूप में लिखा गया है जिसमें अधिकांश रसों का प्रयोग किया गया है। कुछ स्थानों पर अलंकारो एवं उचित मुहावरों का प्रयोग करते हुए तथा कुछ उर्दू के शब्दों को भी समाहित कर इस रचना को रोचक बनाने का प्रयास भी किया गया है ।

लेखक के बारे में :

मेरा जन्म 11 जून, 1969 को छत्तीसगढ़ (पूर्व में मध्य प्रदेश) के बलौदा बाजार जिले के छोटे से गांव बलौदा में हुआ था। मैं अपने पिता की दूसरी पत्नी स्वर्गीय श्रीमती लैनी देवी की चौथी और आखिरी संतान हूँ। मेरे पिता, स्वर्गीय श्री पुरुषोत्तम लाल भारती, एक छोटे किसान थे, जिनकी धार्मिक ग्रंथों में गहरी रुचि थी। मेरा बचपन चुनौतीपूर्ण था, खासकर मेरी माँ की मृत्यु के बाद जब मैं तीसरी कक्षा में था। 1980 के दशक में गंभीर आर्थिक कठिनाइयों और अकाल के बावजूद, मैंने और मेरे भाई ने अपनी शिक्षा जारी रखी, रोजाना 10-12 किलोमीटर पैदल चलते थे। मैंने दूसरों की मदद से अपनी बीएससी और बीएएमएस पूरी की। आखिरकार, आयुर्वेद में एमडी करने के दौरान मैंने अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार लिया। मैंने एक व्याख्याता के रूप में काम किया और बाद में भारत सरकार के साथ एक शोध अधिकारी (आयुर्वेद) बन गया। मेरी पहली प्रकाशित कृति “राहें” है, साथ ही कई अन्य छोटी कविताएँ भी हैं।

 

 

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Author: Dr. P. L. Bharati

Total Pages: 97
ISBN:9788197659812
Price: 120/-
Category: FICTION / General
Delivery Time: 7-9 Days

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