Author: Dr. Suresh Kumar Yadav
Total Pages: 277
ISBN:9789349144828
Language: Hindi
Price: 220/-
Category: fiction general
Delivery Time: 7-9 Days
₹220
किताब के बारे में
वर्तमान समय में देखा जाय तो दलित साहित्य पर सबकी दृष्टि है दलित साहित्य का सूक्ष्म अनुशीलन के उपरान्त इस पुस्तक का सृजन किया गया। इस पुस्तक के माध्यम से लेखक ने समाज की उस व्यवस्था को परत-दर-परत उभारने का प्रयास किया। जिसे शताब्दियों से पाताल की अतल गहराई में सामंतवादी व्यवस्था ने दबाने का प्रयास किया था। सामंतवादी संविधान में जिसे अछूत, चमार, डोम, हरिजन आदि नामों से पुकारा था। हमारे भारतीय संविधान ने उसे अनुसूचित जाति का नाम दिया। हिन्दुओं की समाज व्यवस्था में दलित की स्थिति पर विचार करते समय हमें महसूस हुआ कि इस व्यवस्था में दलितों की स्थिति पशुओं से भी ज्यादा बदतर थी। जो लोग पशु पालते थे उनका भी अपने पशुओं के प्रति मोह, माया, ममता, प्रेम होता है पर समाज की व्यवस्था ने दलितों को हर तरह से प्रताड़ित किया उसका शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, धार्मिक, राजनैतिक शोषण किया और यही नहीं उस पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगा दिये। वह स्वेच्छा से कुछ भी नहीं कर सकता है। इस पुस्तक के माध्यम से यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि दलित कवियों ने जिस भाव से कविता के माध्यम से अपनी वेदना की आत्माभिव्यक्ति किया उसे ठीक उसी प्रकार से समाजशास्त्रीय स्तर पर विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है। कविता का समाजशास्त्र अभी आरम्भिक अवस्था में है पर इस पुस्तक ने कविता का समाजशास्त्रीय विश्लेषण अति सूक्ष्म स्तर से किया गया है। जो भविष्य में शोधार्थी/आलोचकों एवं साहित्य प्रेमियों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।
Author: Dr. Suresh Kumar Yadav
Total Pages: 277
ISBN:9789349144828
Language: Hindi
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